Tuesday 29 October 2013

क्या कहोगे,,

शादी  के सालों  बाद भी,
अगर बिन बात के
आँखों में आंसूं भर आये,  तो क्या कहोगे,,

जहाँ न चाह हो, न एहसास हो,,
और न वफ़ा कि बातें
ख़ामोशी के दर्द की चादर ओढे सुबह,,
और सिसकियों में दबी हो रातें
     जब एक छत के नीचे रह्कर भी,
     कोई साथ को तड़पे,  तो क्या कहोगे…

कौन सही है, कौन गलत है'
फैसला नहीं हो पाया कभी …
परिवार बढ़ता रहा,,
दूरियों कि तरह,,,
यूँही उम्र गुजर जायेगी,,
तब समझ आयेगा,,
जिन रिश्तों और बातों के लिए लड़ते रहे,
उनमें अपना खुद का रिश्ता कहीं खो गया
      जब हमसफ़र से कोई उम्मीद न हो
     और दूसरा प्यार दिखाए, तो क्या कहोगे…।

मिनाक्षी। .
meenakshi2012@blogspot.in