एहसास को कोई रिश्ता
बनाना न तुम
यूँही मिलना और मुस्कुराना
गुजारिशें करना और
मुझे चाहना तुम
ख़ुशी का कम्पन सा जो
हो जाता हैं तुम्हे सोचकर
उसे मंद आँखों में ही सजाना तुम
एहसास को कोई रिश्ता
न बनाना तुम
भागती-मचलती
सांसों की हलचल
बहुत सुखद लगती है
जब नज़र से नज़र
मिलाये नही मिलती
एक उमंग सी
दिल को बेचेन किये रहती है
न थकती है न थकाती है
इसी मीठी उम्मीद की
बारिश में ही हरदम
मुझे भिगाना तुम
एहसास को कोई रिश्ता
न बनाना तुम
रिश्तों के भवंर में
कुछ कभी कहाँ बचा
समाज की बेड़ियों में
खुद को जकड़े रखना तुम
एहसास को कोई रिश्ता
न बनाना तुम
बनाना न तुम
यूँही मिलना और मुस्कुराना
गुजारिशें करना और
मुझे चाहना तुम
ख़ुशी का कम्पन सा जो
हो जाता हैं तुम्हे सोचकर
उसे मंद आँखों में ही सजाना तुम
एहसास को कोई रिश्ता
न बनाना तुम
भागती-मचलती
सांसों की हलचल
बहुत सुखद लगती है
जब नज़र से नज़र
मिलाये नही मिलती
एक उमंग सी
दिल को बेचेन किये रहती है
न थकती है न थकाती है
इसी मीठी उम्मीद की
बारिश में ही हरदम
मुझे भिगाना तुम
एहसास को कोई रिश्ता
न बनाना तुम
रिश्तों के भवंर में
कुछ कभी कहाँ बचा
समाज की बेड़ियों में
खुद को जकड़े रखना तुम
एहसास को कोई रिश्ता
न बनाना तुम
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