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Thursday, 14 November 2013

अब नहीं दिखेगी 'वो'

आज तो सब आये हैं  मिलने उससे
जिन्हे 'वो' जानती नहीं 
और जिन्होंने कभी कोशिश नहीं की , वो भी! 
पर 'वो' नही है आज,,,
सुना है मर चुकी है,,
पर देखो 'वो' साँसे ले रही है 
खुली हवा में,,,
उन्ही अपनों में,,,
जिन्होंने सिर्फ आँसू ही दिए 
और वही लौटा रहे हैं आज भी!

थक चुकी थी 'वो'
झूठे और बेमानी रिश्ते निभाते 
अपनी ही जैल को रोज़ सजाते 
हार गयी थी 'वो'
दूरियों को घटाने की कोशिश में 
जीने  की वजह, किसी उम्मीद में 
खुश रहने का रास्ता  भी नहीं मिल रहा था 
इसलिए खुद ही सब के रास्ते से हट गयी,,,
जो रो देती थी छोटी-छोटी बातों पर
और खुश भी हो जाती थी खिल-खिल कर,,,, 

पति यह सोच के रो रहा है-
उसे फंसा के चली गयी ,,,,
सास-ससुर इसलिए-
कि फिर कैसे घर बसाना है,,,

चार दिन बाद सिर्फ 'भीगी याद' 
बन कर रह जायेगी  'वो'
जो आजतक तो थी 
पर किसी ने देखा ही नहीं,,,