Monday, 31 December 2012
meri bhi suno..lo.....
Thursday, 20 December 2012
SHOULD I BE ASHAMED OF BEING A FEMALE
Gang Rape in Delhi Chartered Bus.
Why a common person has become criminal and has no any fear of police. why law n order is just exhausted specially in delhi. what we can do to improve this phase..when police is just sleeping. what should we do...n how to make our city safe not only for woman, but from any crime, either theft/robbery/murder..Waiting for ur suggestions and cooperation ...
Monday, 17 December 2012
BAG SNATCHING (BACH GAYI)
कभी नहीं भूल सकती मैं सच् 10.12.12 को,
Monday, 28 May 2012
काश फिर एक बार
फिर ये ख़ामोशी टूटे,
सालों से दबी हुई
दिल की बात हो जाये...
मैं कहूँ, वो सुने,
कहते कहते मैं चुप हो जाऊं,,
वो मेरी नम आँखों की तन्हाई समझ जाये ...
काश,
फिर ये बरसात हो,
मैं भीगूँ , वो भीगे
पास आकर वो कहे
मैं तुम्हे छू लूं?
मैं कहूँ नहीं
और वो छू ले मेरे दिल को...
वो कहे क्या मैं तुम्हे चूम लूँ?
मैं फिर कहूँ नहीं
और....
काश एक बार फिर प्यार हो जाये....
Sunday, 27 May 2012
नेट पर फिल्म देखना और संगीत सुनना कितना सुखद और सुविधाजनक है
इसमें कोई बुराई नहीं लगती मुझे अगर site में कोई copyright न हो और यह public domain के लिए प्रकाशित हो । आजकल लोगों के पास समय ही कहाँ है जो वो हमेशा थेअटर ही जाएँ या अपने पसंदीदा संगीत सुनने के लिए CDs' ही खरीदें । अब घर, ऑफिस या कही भी बेठे हम अपनी कोई भी पसंदीदा फिल्म या संगीत free online देख-सुन कर अपने को थोडा relax कर सकते हैं जो की मेरे हिसाब से बहुत ही सुखद,सुविधाजनक होने क साथ साथ किफायती भी है। वैसे Netflix, Amazon वगेरह कई sites कुछ फीस लेकर भी हमारी पसंदीदा फिल्मे दिखाती हैं और वो भी बिलकुल legal.
Friday, 18 May 2012
पति पत्नी और 'वो'
'वो' कोई और नहीं बल्कि उन्ही दोनों की बनाई गयी आपस की दूरी थी जिसने दोनों को एक दुसरे से इतना दूर कर दिया की बात तलाक तक पहुँच गयी।' वो' जिसका कोई वजूद ही नहीं था धीरे धीरे अहम्, शक, लड़ाई झगडा और फिर तलाक न जाने कितने रूप ले लेती है। ये थोड़ी सी दूरी पति-पत्नी क नाज़ुक रिश्ते को बिखरा कर रख देती है। साथ-साथ जीने मरने की कसमें खाने वाले राहुल और गरिमा को अब एक-एक पल साथ रहना मुश्किल लग रहा था। कैसे ये दोनों साथ रहकर भी जुदा जुदा सी सारी जिंदगी बिताएंगे। लव मर्रिज होने क बावजूद भी दोनों क रिश्ते में दरार आ गयी कारण राहुल का गरम स्वभाव और एहम(एगो). छोटी-छोटी बातों पर आग बबूला होना और हाथ तक उठा देना। भला गरिमा ही क्या कौन बर्दाश करेगा और भला कब तक। यहाँ एक बात महसूस करने की है की आजकल पुरुषों क साथ महिलाएं भी पड़ी लिखी हैं इसलिए उनमें भी आत्मसम्मान ज्यादा आ गया है क्योंकि वो भी आज अपने पैरों पर खड़ी हैं। बात अगर यंही तक रहती तो भी संभल सकती है पर जब इन्सान को लगने लगे की वो तो बिलकुल सही है और सामने वाला ही गलत है तो फिर वह सामने वाले को नीचा दिखने में भी कसर नहीं छोड़ता है।
इन्ही की तरह एक कहानी है भावना की जिसकी शादी तो हो गयी पर शादीशुदा जिंदगी का सुख देखने को तरस गयी। एकलौती बहु होने क बावजूद शादी के १० सालों में भी ससुराल को वो अपना घर नहीं कह पाई है कारण पुरानी मानसिकता से पीड़ित सास-ससुर, विवाहित नन्द का उसी घर में रहना और उनकी हाँ में हाँ मिलाने वाला उसका पति सुनील। अछी नौकरी के बावजूद भावना रोज किसी न किसी बात पर ससुराल वालों के ताने सुन सुन कर थक चुकी है। सास ससुर चाहते हैं बहु नौकरी भी करे घर में पैसे लाये और घर क कामों में भी बिलकुल परफेक्ट हो वेगेरह-वेगेरह। भावना को हमेशा यही दुःख रहता की वो चाहे उन्हें कितना भी खुश कर ले पर उसे कभी वो प्यार और जगह नहीं मिल सकती जो उसी घर में नन्द ने ले रखी है क्योंकि उसके सास-ससुर को बेटी के प्यार में अपनी बहु की सिर्फ कमियां ही कमियां नज़र आती थी। जिन्हें वो समय-समय पर बहु को बोल बोल कर पूरा कर देते थे। रोज रोज के ताने और गली-गलोच सुन सुन कर भावना की भी हिम्मत टूट चुकी थी, क्योंकि शुरुआत में जब वो सुनील को यह बताती तो सुनील अपने माता-पिता का ही साथ देता था।
Thursday, 17 May 2012
Poision of life
Wednesday, 16 May 2012
चाहत
शायद मेरी तन्हाई की इंतिहा यही है,
ढूँढती हूँ दर्द में खुशियाँ कहीं है,
माना की मुझमे अलग कुछ भी नहीं हे,
पर जो मुझमे है वो किसी और में भी नहीं है।
Monday, 14 May 2012
छोटी सी बात-मानवता के लिए
एक महिला की छोटी सी हिम्मत ने मुझे अन्दर तक हिला दिया था और सोचने को मजबूर कर दिया की हम सभी कहते तो हैं हमें जरुरतमंदो की सहायता करनी चाहिए, गलत बात के लिए सदेव विरोध करना चाहिए पर हम में से कितने लोग सच में एसा कर पाते हैं? आए दिन हम अपने आस-पास महिलाओं, बच्चों के साथ छेडकानी, बदतमीजी देखकर नज़र-अंदाज़ कर देते हैं क्योंकि वो हमारे कुछ लगते जो नहीं हैं.
मुझे आज भी याद है २ साल पहले क़ा वह दिन, मेन ऑफिस से बस में सफ़र कर रही थी, शाम का वक्त था, ऑफिस टाइम होने से बस में भीड़ बहुत थी। तभी दो लोफर लड़के हेल्पर /कंडक्टर से टिकिट को लेकर बहस करने लगे और इतने में एक ने उस हेल्पर जो बेचारा बच्चा ही था, को जोर से २-४ थप्पर जड़ दिए और गाली-गलोच करने लगा। सभी चुप-चाप मूक दर्शक बन कर देखते रहे और ऊन सभी में मैं भी शामिल थी क्योंकि मैं भी सभी की तरह यही सोच रही थी की कौन इस पचड़े में पड़ेगा एंड इन गुंडे लड़कों से पंगा क्यों ले भला। पर तभी एक युवा महिला जोर से बोली,'तुमने इसे थपर क्यों मारा, मुंह से भी तो बात कर सकते हो" वो आवारा लड़का गुस्से में बडबडाने लगा " तुझे क्या तकलीफ हो रही है "। पर फिर भी वह महिला नहीं डरी और बोली "तुम सब के सामने किसी को चांटा मार दोगे, कुछ भी करते रहोगे और तुम्हे कोई कुछ भी नहीं बोलेगा, क्या अब तुम्हे तमीज भी सिखानी पड़ेगी"। उस महिला की हिम्मत के सामने उन लड़कों की भी बोलती बंद हो गयी। थोड़ी देर बाद उस महिला का स्टॉप आ गया और वह ग़ेट पर लटके उन लड़कों को डट कर बोली "ग़ेट से हटो"। मैं ये देखकर दंग रह गयी की उस महिला को जरा डर नहीं लगा कहीं ये दोनों उसका पीछा या बद्तिमीजी तो नहीं करेंगे। उसकी हिम्मत और साहस देखकर मुझे भी अपने आप में आत्म-विश्वास आया है की हम अपनी ही नहीं बल्कि दूसरों की मदद भी कर सकते हें और हमें करनी चाहिए।
Monday, 7 May 2012
teri yaad
Gujrat and babri mazjid dangon (riots) per
हर तरफ से आती है आवाज़क्यों फ़ैल गए इस देश में ऐसे जालिम बदमाश
ऐसे जालिम बदमाशजो मिटा रहे इस देश को
जाती -पाती के भेद से भड़का रहे इस देश कोपहले इस भड़कती आग को बुझाओ
मंदिर मस्जिद इसके बाद बनाओ