Monday 2 September 2013

जिंदगी कुछ और होती,,

मेरे दर्द को.. . 
तेरे प्यार की तकदीर मिल जाती
तो जिंदगी कुछ और होती,,

 बिस्तर की सलवट सी हर ख्वाइश
धुल के और भी गहरी
मेरे जिस्म को.…
तेरे रूह की गर्मी मिल जाती
तो जिंदगी कुछ और होती,,,

हर दिन गुजरती उम्र को सोच कर
हर शाम  तनहाइयों में डूबना
मेरे हाथ को .…
तेरे साथ की लकीर मिल जाती
 तो जिंदगी कुछ और होती,,,

कुछ पाने  पर बहुत कुछ खोने का डर
बेदर्द जमाना और ये खुदगर्ज दिल 
मेरी हार को.…
तेरी जीत मिल जाती
तो जिंदगी कुछ और होती,,,