Monday 25 November 2013

न आओ मेरे पास

न आओ मेरे पास
दूर जाना मुश्किल होगा
मैं कड़ी हूँ स्थिर
रोके हुए खुद को वहीँ,,
जो आंखों में तुम्हारी पड़ने लगी हूँ ,,,,
कुछ कहना है 'शायद'
एक मुलाकात,,,
जो  आखिरी भी होगी,
ये भी जानती हूँ 

फिर भी न जाने क्यों
ख्यालों में तुम्हारे रहने लगी हूँ,,,,
जिसे कहती है दुनिया 'प्यार'
हाँ तुम्ही से करने लगी हूँ …




Monday 18 November 2013

बोलो कुछ तो,,
या अब नहीं बस,,
बहुत सवाल होते थे
तुम्हारे पास तो,,
जवाब अब हैं मेरे पास
मिलने आया करते थे तुम
जब जानती नहीं थी मैं
अब बिना जाने जा रहे हो…।

  
 जाती हुई धुप को,
 एक  चमकते हुए जुगनू  से प्यार हो गया
            सूरज की जलन से ज्यादा
           उसे जुगनू की ठंडक  भाने लगी,,
उसे मिले भी तो कैसे
दिन-रात के अंतर को
हटाये भी तो कैसे,,,
          पर बिन सूरज उसका,
        कोई अस्तित्व भी तो नहीं
       जैसे शादी के बाद स्त्री का !

जुगनू की चमक में खो तो  गयी है
कहाँ खबर है उसे,
समाज का दस्तूर निभाना है
सूरज की  आग में,
फिर खुद को जलाना है !!
  

Thursday 14 November 2013

अब नहीं दिखेगी 'वो'

आज तो सब आये हैं  मिलने उससे
जिन्हे 'वो' जानती नहीं 
और जिन्होंने कभी कोशिश नहीं की , वो भी! 
पर 'वो' नही है आज,,,
सुना है मर चुकी है,,
पर देखो 'वो' साँसे ले रही है 
खुली हवा में,,,
उन्ही अपनों में,,,
जिन्होंने सिर्फ आँसू ही दिए 
और वही लौटा रहे हैं आज भी!

थक चुकी थी 'वो'
झूठे और बेमानी रिश्ते निभाते 
अपनी ही जैल को रोज़ सजाते 
हार गयी थी 'वो'
दूरियों को घटाने की कोशिश में 
जीने  की वजह, किसी उम्मीद में 
खुश रहने का रास्ता  भी नहीं मिल रहा था 
इसलिए खुद ही सब के रास्ते से हट गयी,,,
जो रो देती थी छोटी-छोटी बातों पर
और खुश भी हो जाती थी खिल-खिल कर,,,, 

पति यह सोच के रो रहा है-
उसे फंसा के चली गयी ,,,,
सास-ससुर इसलिए-
कि फिर कैसे घर बसाना है,,,

चार दिन बाद सिर्फ 'भीगी याद' 
बन कर रह जायेगी  'वो'
जो आजतक तो थी 
पर किसी ने देखा ही नहीं,,,




  



Wednesday 6 November 2013

आदत है मुझे

अक्सर तुम्हारे रूठ जाने की
आदत है मुझे।

कभी कुछ शब्द अधूरे रह जाते हैं
कभी कोई बात
कभी रिश्ते पूरे नहीं हो पाते '
कभी जज्बात
जिंदगी के इस अनुभव की
आदत है मुझे।

मन का पंछी दिन-भर सोचे,,
जाने कैसी प्यास लगी है
कहता है दिल मर जाने को,,
कैसे कोई प्यास बुझी है?
खुश्बू देकर तुमको, खुद काँटो की
आदत है मुझे ,,,,,