Friday 18 May 2012

पति पत्नी और 'वो'

राहुल और गरिमा की शादी को अभी साल भी नहीं हुआ था की उनकी शादी शुदा जिंदगी में जहर घोलने आ गयी थी 'वो'। उसके आते ही दोनों के सपनों का घर सपनों में ही ख़ाक हो गया।


'वो' कोई और नहीं बल्कि उन्ही दोनों की बनाई गयी आपस की दूरी थी जिसने दोनों को एक दुसरे से इतना दूर कर दिया की बात तलाक तक पहुँच गयी।' वो' जिसका कोई वजूद ही नहीं था धीरे धीरे अहम्, शक, लड़ाई झगडा और फिर तलाक न जाने कितने रूप ले लेती है। ये थोड़ी सी दूरी पति-पत्नी क नाज़ुक रिश्ते को बिखरा कर रख देती है। साथ-साथ जीने मरने की कसमें खाने वाले राहुल और गरिमा को अब एक-एक पल साथ रहना मुश्किल लग रहा था। कैसे ये दोनों साथ रहकर भी जुदा जुदा सी सारी जिंदगी बिताएंगे। लव मर्रिज होने क बावजूद भी दोनों क रिश्ते में दरार आ गयी कारण राहुल का गरम स्वभाव और एहम(एगो). छोटी-छोटी बातों पर आग बबूला होना और हाथ तक उठा देना। भला गरिमा ही क्या कौन बर्दाश करेगा और भला कब तक। यहाँ एक बात महसूस करने की है की आजकल पुरुषों क साथ महिलाएं भी पड़ी लिखी हैं इसलिए उनमें भी आत्मसम्मान ज्यादा आ गया है क्योंकि वो भी आज अपने पैरों पर खड़ी हैं। बात अगर यंही तक रहती तो भी संभल सकती है पर जब इन्सान को लगने लगे की वो तो बिलकुल सही है और सामने वाला ही गलत है तो फिर वह सामने वाले को नीचा दिखने में भी कसर नहीं छोड़ता है।

इन्ही की तरह एक कहानी है भावना की जिसकी शादी तो हो गयी पर शादीशुदा जिंदगी का सुख देखने को तरस गयी। एकलौती बहु होने क बावजूद शादी के १० सालों में भी ससुराल को वो अपना घर नहीं कह पाई है कारण पुरानी मानसिकता से पीड़ित सास-ससुर, विवाहित नन्द का उसी घर में रहना और उनकी हाँ में हाँ मिलाने वाला उसका पति सुनील। अछी नौकरी के बावजूद भावना रोज किसी न किसी बात पर ससुराल वालों के ताने सुन सुन कर थक चुकी है। सास ससुर चाहते हैं बहु नौकरी भी करे घर में पैसे लाये और घर क कामों में भी बिलकुल परफेक्ट हो वेगेरह-वेगेरह। भावना को हमेशा यही दुःख रहता की वो चाहे उन्हें कितना भी खुश कर ले पर उसे कभी वो प्यार और जगह नहीं मिल सकती जो उसी घर में नन्द ने ले रखी है क्योंकि उसके सास-ससुर को बेटी के प्यार में अपनी बहु की सिर्फ कमियां ही कमियां नज़र आती थी। जिन्हें वो समय-समय पर बहु को बोल बोल कर पूरा कर देते थे। रोज रोज के ताने और गली-गलोच सुन सुन कर भावना की भी हिम्मत टूट चुकी थी, क्योंकि शुरुआत में जब वो सुनील को यह बताती तो सुनील अपने माता-पिता का ही साथ देता था।

सुना है बुजुर्ग घर को बनाते हैं पर यहाँ तो उन्होंने ही अपनी पुरानी दकियानूसी बातों और शर्तों से अपने ही घर को तबाह कर दिया है। सुनील ने कभी सोचा ही नहीं की सारा घर एक तरफ और भावना एक तरफ,कितना अकेला महसूस करती होगी खुद को। वो भी जब उसका अपना पति भी उसका साथ देना तो दूर उसे समझ ही नहीं पाया आज तक , जिसके लिए वो अपने माता-पिता का घर छोड़कर आई , जिसे प्यारे से २ बच्चे दिए। क्या कभी अकेले में ही सुनील को कभी जरुरत महसूस नहीं हुआ की भावना से दो पल प्यार से बात कर ले उसे समझाए की उसके घरवाले चाहे जो कहें में तेरे साथ हूँ, तू चिंता मत कर। काश...
काश ! अगर कभी सुनील एसा सोचता तो शायद उन दोनों के बीच इतनी दूरी ही नहीं आती। भावना जो कभी हसमुख हुआ करती थी वो भावना अब कहीं खो गयी, और depression का शिकार हो गयी, अब बर्दाश करना उसके बस की बात नहीं रही। शादीशुदा होने के बावजूद भी उसे उसकी जिंदगी तलाकशुदा नन्द से भी बत्तर लगने लगी थी। ये अहम, थोड़ी सी दुरी आखिर न जानेकब एक दिन दोनों का तलाक करा दे।
पर अवतार मोहन जी को उम्र के ६० वे पड़ाव में बीवी की एहमियत समझ आई है, जिस बीवी को उन्होंने हमेशा तिरस्कार किया आज उसी का सहारा रह गया है उनके पास। उनके दोनों बेटे बाहर बस गए और बेटी की शादी हो चुकी है। माता पिता भी गुजर गए, अब अवतार मोहन जी को सही अर्थ में शादी होना और पति बनने का मतलब समझ आया है।
जहाँ पति-पत्नी की आपस की दुरी बदती है और प्यार कम, तकरार ज्यादा होने लगती है, वहीँ शक और विवाहोतर सम्बन्ध (extra-marital affair) की शुरआत होती है। खुदखुशी भी की सम्भावना बनी रहती है।
सच अगर हम समय रहते ही समझ जाएँ की शादी सिर्फ दो जिस्मों का मिलन ही नहीं बल्कि दो भावनाओं का भी मिलन है, जिसमें गौर करने वाली बात ये नहीं है की कौन जीता कौन हारा, बल्कि क्या टूटा और वो है केवल रिश्ता जो दोनों का एकदूसरे से एक ही है। यह बात हम जितना जल्दी समझ जाएँ उतना ही अच्छा है ,बाद में पछताने से सिर्फ अकेलापन ही मिलेगा क्योंकि अच्छा समय तो रेत की तरह फिसल चुका होगा....



1 comment:

  1. I have read the whole story of Bhavna's present life. Definitely one day her hubby will realize his mistakes and start to give value to Bhavna. God will definitely help her. She will have to wait for that time. She should not think about divorce or suicide. These are cowardliness. With happiness of two cute kids she should face the situation with courageousness. However, she referred about extra marital affair. Here I may suggest that if she feels loneliness in life, if any only nearest nearest known male person Mr. X (who she may meet every day) ready to support her in all respect and respect her values, she should accept his love and care. It is no harm. Because in humans only opposite sex will be a good support for each other. Even if there is true love generates between Bhavna and Mr. X it is a most welcomed and good opportunity for Bhavna. She should not miss it. Because whatever she misses in her family life definitely Mr.X will support fully. Bhavna should not miss the opportunity. Because she cannot find a person like Mr. X every where. Today all male persons will come forward to help and support for only one reason i.e. for pleasure. They will not feel the real pain in the life of Bhavna. Such person will come and go and will not stand last long to support her. After pleasure game is over for two three times they will run away and never return. Bhavna will again stand alone. In love life with such a person like Mr. X, there may be small small fights, differences discussion etc. may arise but the true love and care always exists. Mr. X will adjust with Bhavna and not become serious even in Bhavna's anger times. So I advise Bhavna to hold the hand of Mr. X forever which will give her companion, humsafar, happiness and joy in her entire life. Mr. X will never leave her in any situation. He is committed to be with her till last. And Mr. X always prays god to make Bhavna happy in her family life with her husband and in laws. My heartiest blessings for Bhavna's happiness and fully support her. The above story may be a real life of Bhavna. Bhavna shaayad jarur isko padegi. If she reads this mera eak hi request hai ki Mr. X aur uska pyaar ko kabul karley. Bhagwan se dhonon milkar prarthana karke Bhavna ke kushi ke liye vardhan mangengey ki uska family life khushhaal ho aur uska husband and in-laws hamesha Bhavna ko apne aankhon par hi rakhen. Yeh mera viswaas hai. Is kahaani ko padkar main bhaavuk ho gaya hun and really mera aankh bhar aaya. Bhavna ko kuch nahi hoga. She will be always happy. if, Bhavna realy mera comments ko padegi, she will definitely mera comments padkar jarur royegi aur is ka reply degi. Main intzaar karunga. Agar Bhavna, story ka character hai tho bi main Bhavna jaise women to salaam kartha hun aur bahgwaan se pray kaarunga ki un sabko hamesha kush hi rakhe aur unka family life accha banayen.

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