Thursday 5 December 2013

शिकायत नहीं अब मुझे,,,,

बोल देते हो न बाबू जब  प्यार से
और अपना बना लेते हो,,
दिल के खालीपन को…जैसे…

तुम्हारी मुस्कराहोटों  में
छुपी है मुझे चाहने कि खता
जो मेरी  आँखों से बयान होती हैं 

'प्यार' कितना प्यारा लगता है आज भी
और ख़ाक में मिलाने क लिए भी
ये शब्द ही काफी है,,,,

पागल होगा कोई
भला मेरे जैसा,,
जो अपनी ही खुशियाँ दावं पर रखकर
तुम्हारे एहसास में बेचैनी ढूँढ रही है
कहते हैं कविताएँ
हमारी जिंदगी के अनुभव प्रकाशित करती हैं 
पर तुम तो… मेरी जीवन क विस्तार हो,,
जिसमें 'सही' 'गलत' का बोझ उठाए बिना
बेजान से इस जीवन में
तुम्हे इतना चाहना मेरे लिए मायने रखता है
बची जिंदगी से शिकायत नहीं अब मुझे,,,,!

 


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